छंद झपताल

बंभमें आज वामांग वांमी बळा।
हलंते मो मती समंद हाळोहळा॥
कुशल हर आवीया साथ सारो कुशळ।
धोळहर धोळहर मंगळ दीजें धमळ॥

गाजीया वाजत रन नगारा गड़गड़ी।
चाह वीवाह बहू प्रज ओटे चड़ी॥
चंद्रचे चंद्रचे चाहीया चोहटा।
घूघटी अंबरें जांण बाराह घटा॥

कांगरे कांगरे मोर कंगावीया।
पाट पाटंबरें हाट पेहरावीया॥
माळीए माळीए हीर हाटक मणी।
जाळीए जाळीए नगररी जोपणी॥

सेरीए सेरीए पाटपट सांधीए।
बारणे बारणे तोरणे बांधीए॥
ओदणे ओदणे जुवती ओदणे।
चोतरे चोतरे हंस मोती चुणे॥

वाड़ीए वाड़ीए वाटका वनरे।
आलपे कोकिला कंठ ऊंचे सरे॥
मारगे मारगे गहमही मालणी।
चोसरे चोसरे मेल थई चोगणी॥

तोड़रे तोड़रे माळ मोती तणी।
गोखड़े गोखड़े लूंण ल्ये गेहणी॥
आंगणे आंगणे चोक पूरे अवळ।
कनकरे आंगणे केल कळसा कमळ॥

मांडहे मांडहे नागवेली मली।
आपणी आपणी गुड़ीयां ऊछली॥
घंटबे घंटबे संख झालर घुरे।
आरती आरती वेद विप्र उचरे॥

मंदरे मंदरे तूर भेरी मृदंग।
इयें उनमांन सो वसदेवरे उछरंग॥
उधव पधरावीया किसन घर आपणें।
नाचीया नेव तिण ताळ ओधा तणे॥
स्रोत
  • पोथी : रुकमणी-हरण ,
  • सिरजक : सायांजी झूला ,
  • संपादक : डॉ. पुरषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान राज्य प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : प्रथम
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