पन्ना मीणा की बावड़ी राजस्थान की प्रमुख बावड़ियों में से एक है। यह जयपुर जिले के आमेर के समीप स्थित है। इसे पन्ना मीणा का कुंड भी कहा जाता है। इस बावड़ी के निर्माता के बारे में कोई उल्लेख नहीं मिलता। न ही इस बात का उल्लेख कि पन्ना मीणा कौन है? इसके निर्माण बाबत तमाम किवदंतियां लोक में प्रचलित है, लेकिन कहीं भी इसके वास्तविक निर्माता और निर्माण-काल का पता नहीं चलता। लोक-परिसर में पन्ना मीणा के तमाम रूप प्रचलित है, कहीं वह गायक है, कहीं राजा तो कहीं योद्धा।
इतिहास के अनुसार यहाँ राजपूतों के शासन से पहले मीणाओं का राज था, इसलिए यह मीणा-राज के समय का निर्माण हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि मीणा राजा दीपावली के समय यहाँ पूजन के लिए एकत्र होते थे, एक बार उनमें से किसी ने मुखबिरी करके राजपूत राजाओं को इस बाबत जानकारी दी, फिर मीणाओं पर आक्रमण का उल्लेख मिलता है, जिसमें पन्ना मीणा की मृत्यु भी हो जाती है। इतिहास और लोक उल्लेखित बातों से इतर इस बावड़ी की वास्तुकला शानदार है। ज़ाहिर है यह स्थापत्य राजाओं के समय का है, इसी के चलते यहाँ पर्यटकों का आना-जाना सतत बना रहता है।
इस बावड़ी की ऊँचाई लगभग 8 मंजिल जितनी है। वहीं इसमें लगभग 1800 सीढ़ियाँ हैं। सभी सीढ़ियाँ क्रिसक्रॉस पैटर्न में हैं, जो देखने योग्य हैं। 'चाँद बावड़ी' और ‘हाड़ी रानी की बावड़ी’ की तरह ही इसमें भी तीन तरफ़ सीढ़ियाँ हैं। यहाँ निर्मित छोटी-छोटी छतरियां और मंदिर इसे और आकर्षक बनाते हैं। सीढ़ियों, अष्टभुजा किनारों और बरामदों के लिए विख्यात यह बावड़ी जयगढ़ और आमेर दुर्ग की नैसर्गिक सुंदरता से आवृत है। फ़िलवक़्त यह बावड़ी एक पर्यटक के रूप में डेवलप है। दंतकथाओं में उल्लेख होता है कि इस बावड़ी में गुप्त मार्ग और सुरंगें हैं, जो पास के किलों और महलों तक जाती हैं। बीते कई वर्षों से यहाँ कई फ़िल्मों की शूटिंग भी होती रहती है। इसे देखने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का है। यह आमजन के भ्रमण के लिए निशुल्क है।