जयपुरी शैली के ख्यालों को तमाशा कहते हैं। इस ख्याल के लेखन व मंचन में यहां के भट्ट परिवार का एकाधिकार रहा है। लगभग दो सौ वर्ष पहले जयपुर महाराजा रामसिंह के दरबार में बंशीधर भट्ट भजन गायकी करते थे। उन्होंने महाराजा के मनोरंजन के लिए कुछेक नाटकों (तमाशों) का सृजन किया था। इनमें गोपीचंद भतृहरी, जुठ्ठन मियां, हीर रांझा, लैला मजनूं, छैला पणिहारी, रूपचंद नानकशाही, गंधी-गंधन बेहद आदि लोकप्रिय रहे हैं। इस प्रकार बंशीधर भट्ट जयपुरी ख्याल को जनक माना जा सकता है। बंशीधर मूलत: दक्षिण भारतीय थे जिनका खानदान अलग-अलग राजदरबारों में अपनी प्रतिभा के बलबूते प्रतिष्ठित होता गया।

जयपुरी ख्याल शुरू से ही खुले मंच पर खेले जाते रहे हैं। जमीन पर बिछात बिछाकर अभिनेता दर्शकों के बीचों-बीच इस प्रकार अभिनयरत रहते हैं कि दर्शक उनके चारों तरफ बैठ जाएं। पुरुष पात्र एक ढीला-ढाला भगवा चोगा और घुटनों तक का कच्छा पहने रखता है। मुख्य पुरुष पात्र के सिर पर कलंगी वाला मुकुट लगा होता है। हाथ में ताल देने लिए सागी एवं शैली होती हैं जिनके पैरों में घुंघरू बंधे रहते हैं। नारी पात्रों की भूमिका पहले प्राय: कम उम्र के लड़के निभाते थे पर अब इन भूमिकाओं में भट्ट परिवार के पुरुष ही शामिल होते हैं। कभी-कभार लड़कियां भी इन ख्यालों में भाग लेती हैं। तमाशा मुख्यत: होली के अवसर पर आयोजित होता है। प्रारंभ में यह रात्रि जागरण के रूप में होते थे पर पिछले साठ-सत्तर वर्षों में दिन में ही मंचित होने लगे हैं। इनका समय दोपहर बारह बजे से लेकर सांय पांच बजे तक होता है। इस ख्याल में वाद्यों के रूप में हारमोनियम, सारंगी तथा तबला प्रयुक्त होते हैं। यह नाट्य कई राग-रागिनियों पर आधारित होता है जिनमें जौनपुरी मालकोस, भूपाली पहाड़ी, दरबारी, आसावरी, पीलू, विहाग, काफी, सिंध काफी, कालिंगड़ा, केदार, सोरठ, सोहनी आदि प्रमुख हैं।

जयपुर में ब्रह्मपुरी और आमेर में तमाशा प्रदर्शन के प्रमुख अखाड़े हैं। होली के दो दिन बाद ब्रह्मपुरी अखाड़े में और होली के बाद अमावस्या के मौके पर आमेर के अंबकेश्वर महादेव मंदिर के अखाड़े में भट्ट परिवार तमाशों का प्रदर्शन करता है। जयपुर में तमाशा मंचित करने वाले कुछ अन्य अखाड़े भी हैं जिनमें बारह भाइयों का चौराहा, मठ का कुंआ, गोपाल धाबाई का अखाड़ा, कुंदीगर भैरों का मंदिर, रैगरों की कोठी, कोलियों का मौहल्ला, खातीवाड़ा, ताड़केश्वर जी का मंदिर और होली टीबा उल्लेखनीय हैं। जयपुर तमाशों के शुरुआती प्रमुख कलाकारों में भट्ट परिवार के सदस्य बंशीधर भट्ट, बृजपाल, फूलचंद, मन्नूलाल, रसिक भट्ट, गोपीचंद आदि थे। आजकल गोविंद नारायण, दामोदर, जगदीश, वासुदेव, दिलीप आदि तमाशों के प्रमुख कलाकार हैं। इन सभी ने बंशीधर भट्ट के लिखे तमाशों का मंचन किया है और करते चले आ रहे हैं। भट्ट परिवार के अलावा कुछ अन्य कलाकारों ने भी जयपुरी ख्यालों में अभिनय किया है जिनमें मोतीलाल, भंवरलाल, कंवरलाल, कपूरीलाल, कल्याण शुक्ल, दामोदर मिश्र, नानाजी उस्ताद, रामकुवार डोगरा, गौरीलाल भड़भूजा आदि प्रमुख हैं। वैसे जयपुरी तमाशा गायन और भाषा की दृष्टि से अन्य राजस्थानी ख्यालों से सरंचनात्मक भिन्नता रखते हैं फिर भी वे समग्र रूप से राजस्थानी ख्यालों में ही शामिल किए जाएंगे।

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