रानीजी की बावड़ी बूंदी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध बावड़ी है। इस बावड़ी का निर्माण बूंदी के शासक राव राजा अनिरुद्ध सिंह की छोटी रानी नाथावती सोलंकी ने बरस 1699 में करवाया था। आगे का निर्माण महाराव राजा बुद्ध सिंह के शासनकाल के दौरान हुआ, जिन्होंने 1695 ईस्वी से 1729 ईस्वी तक बुंदी पर राज किया। लगभग 300 सौ साल पुरानी यह बावड़ी राजस्थान की प्रमुख बावड़ियों में से एक है। इस तीन मंजिला बावड़ी में अद्भुत मेहराबदार द्वार हैं, जिनके खंभों पर शानदार कलाकृतियाँ उकेरी गयी हैं। यहीं स्तंभों पर हाथियों की मूर्तियाँ निर्मित हैं।
इस बावड़ी का वास्तुशिल्प बड़ा जटिल है। तमाम तरह के भित्तिचित्र, नक्काशीदार तोरण, देवी-देवताओं की मूर्तियां आदि इसके और खूबसूरत होने में भूमिका निभाते हैं। इस बावड़ी को एक विशिष्ट डिज़ाइन ‘ब्रैकेट’ के साथ उकेरा गया है। यहाँ बावड़ी से नीचे उतरते ही सरस्वती, गणेश, भगवान विष्णु, वराह, गजेंद्र आदि की मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं। इस बावड़ी की गहराई 46 मीटर है।
यह बावड़ी राजपूत शैली का एक उत्कृष्ट नमूना है। रानी जी की बावड़ी में 100 से अधिक सीढ़ियाँ हैं। बावड़ी के शिखर पर खुला क्षेत्र कबूतरों के प्रवेश करने से रोकने के लिए जाल से ढका हुआ है। मध्ययुगीन युग का यह निर्माण वास्तुशिल्प चमत्कार के साथ अपनी सुन्दरता को दर्शाता है। बावड़ी में प्रवेश का समय सुबह 9: 00 से शाम 5:00 बजे तक है। रविवार को यह बावड़ी बंद रहती है। यहाँ पहुँचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है। रेल सेवा से आने वाले पर्यटक कोटा भी आ सकते हैं।