खेतड़ी झुन्झुनूं जिले का एक ऐतिहासिक क़स्बा है, जो सैन्धव सभ्यता के प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों, और ताम्र-सम्पदा के लिए ख़ासा प्रसिद्ध है। यहाँ के शासक शेखावाटी के पराक्रमी, झुन्झुनूं के शार्दूलसिंह (सादाजी) के पुत्र किशनसिंह की वंश-परम्परा में हैं। यहाँ निर्मित क़िला भोपालगढ़ नाम से जाना जाता है। भोपालसिंह द्वारा बनवाये गये भोपालगढ़ किले की ऊँचाई समुद्रतल से लगभग 2337 फीट है। किले में शीशमहल, मोतीमहल, जनानी ड्योढ़ी, मन्दिर, कुआँ और अन्य निर्माण निर्मित हैं। फतह-विलास खेतड़ी राजप्रासाद का अन्य प्रमुख आकर्षण है। यहाँ तमाम हवेलियाँ निर्मित हैं, जिनमें कुछ राज-प्रासाद है तो कुछ निजी भी। क़िले के मुख्य प्रवेश द्वार के पश्चिमी भाग में विशाल महल बने हैं, जिनमें कई तरह के चित्रों का अंकन है।

पश्चिमी भाग में तोषाखाना (खजाना) तथा जनानी ड्योढ़ी के भवन बने हैं। महलों के ऊपरी भाग में गुम्बदनुमा कलात्मक छतरियाँ बनी हैं। खेतड़ी रियासत के राजा फतहसिंह द्वारा इस भव्य महल का निर्माण करवाया गया था। यहीं निर्मित दीवान-ए-आम तथा ऊपरी मंजिल पर दीवान-ए-खास के भवन हैं। रघुनाथजी और मदनमोहनजी के मन्दिर अपने कलात्मक सौन्दर्य और भव्य स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध हैं। साथ ही वे हवेली पद्धति पर आधारित हैं। खेतड़ी राजा अजीतसिंह के स्वामी विवेकानन्द से घनिष्ठ सम्बन्ध थे। उन्होंने विवेकानन्दजी को शिकागो की सर्वधर्म परिषद् में भाग लेने अमेरिका भेजा था।

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