डूंगरपुर शहर की वास्तुकला शानदार है। इसी डूंगरपुर में स्थित है बादल महल। गैब सागर झील के किनारे स्थित यह डूंगरपुर का एक भव्य महल है। पहाड़ियों और झीलों से आवृत इस महल का निर्माण मूलतः दो चरणों में हुआ। पहले चरण में नीचे का तल और बरामदा बनाया गया, जिसका निर्माण महारावल गोपीनाथ ने करवाया था। दूसरे चरण में पहली मंजिल, गुम्बद आदि का निर्माण हुआ, जो महारावल पूंजा ने करवाया। इस महल के कुछ निर्माण कार्य में पारेवा पत्थर पत्थरों का प्रयोग किया गया है।
महल पर निर्मित तीनों गुंबदों के शिखर पर अर्ध-पके कमल के आकार की कुछ आकृतियां बनी हुई हैं, जो सौन्दर्य को और सघन करती हैं। कहते हैं कि इस महल के निर्माण का उद्देश्य इसे अवकाश गृह बनाने के अर्थ के साथ किया गया था। राज्य के मेहमानों को ठहराने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कहा जाता है कि बाद में यहाँ कुछ क्रांतिकारियों को भी रोका गया था। महल की वास्तुकला बड़ी कमाल लेकिन जटिल है। इस महल की स्थापत्य शैली राजपूत और मुगल शैली के मिश्रण के लिए प्रसिद्ध है।
महल में राजा-महाराजाओं के समय की पगड़ियां, तलवार, शाही वस्तुएं, युद्ध की सामग्री आदि मौजूद है। इसी महल के परिसर समीप चन्द्रमोलेश्वर महादेव का मंदिर है, जो आस्था का बड़ा केंद्र है। संध्या के समय जब बादल महल में रोशनी चमक उठती है तो इस महल की छवि बड़ी आकर्षक लगती है। बादल महल का स्थापत्य कुछ इस तरह का है कि कहीं से भी खड़े होकर आप महल के ढाँचे को आसानी से देख सकते हैं।
बादल महल का खुलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक का है। महल में भ्रमण का कोई शुल्क नहीं है।