राजस्थान में क्षेत्र के अनुसार रहन-सहन और रीति-रिवाजों में अंतर दिखाई देता है। इनमें क्षेत्र के साथ-साथ जाति के अनुसार भी असर देखा जा सकता है। रीति-रिवाज जीवन के तरीके सिखाते हैं। उदाहरण स्वरूप वत्स-द्वादसी (बछ बारस) के दिन कुछ क्षेत्रों में औरतें गाय के दूध और गेहूं के आटे का उपयोग खाने में नहीं करती हैं। कुछ अवसरों पर हरी सब्जी का प्रयोग नहीँ किया जाता है। लोकजीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेक संस्कार प्रचलित हैं। आदिवासी जातियों में कुछेक विशिष्ट रीति-रिवाज चलन में हैं जो शेष जातियों से भिन्न हैं।