तौ तजि सब ओटं काया कोटं चौड़े चोटं बलि बोटं।

काढ़े गुण सोटं बहु बिधि बोटं राजस घोटं काढ्या सब खोटं।

मंगल मोटं करम सु छोटं हति झोटं बांधी पुनि पोटं।

मान्या टोटं तासन जोटं ऐसी बिधि आपद रेलं॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बानी ,
  • सिरजक : रज्जब जी ,
  • संपादक : ब्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन, कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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