यहि काया कल्यान भजन की ठौर है।

चौरासी लख माहिं ऐसी और है॥

तामै कीजै काम राम रट लीजिये।

रज्जब येही बेरि बिलंब कीजिये॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बानी ,
  • संस्करण : प्रथम
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