ता समि नहिं कोई त्यागी दोई गुरमुख जोई कहि होई।

गोपि सु गोई आतम धोई खल मत खोई यहु छोई।

मैवासा मोई जग मति चोई ढाल सु ढोई रिपु रोई।

सब जग टोई लाल सु लोई या तन मन काढ़ी दखं॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बानी ,
  • सिरजक : रज्जब जी ,
  • संपादक : ब्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन, कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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