सिष्य न होये आप सिष्य औरन करै।
यहु पूरण परपंच ठगारिन सौं परै॥
पूजत बहु दुख होय पुजाये सौं दुखी।
रज्जब कही बिचार सु निगुरा मनमुखी॥