सुखी सकल संसार बिरहणी दुख भरी।
बाम मिलत बर बारि अमिल अगनी जरी॥
चौरासी बित चैन सु मुंह आगे मुदा।
रज्जब चाहै राम दुखी दीरघ जुदा॥