सक्ती सुख ससि सीर सुधा रस बरसहीं।
पीवत प्राण पियूष सबै मन हरखहीं॥
मोमन बाज बिसेष बिरह बपु चांदिया।
रज्जब रस बिष होइ उभै सुख बांदिया॥