बिरह बिथा तन पीर धीर केहि बिध धरै।
ज्यूं मोती मधि थाल तनहि मन यूं फिरै॥
दर्शन बिन बेहाल बियोगिन बावरी।
रज्जब कृपा कटाछ कबहिं व्है रावरी॥