यौवन पर गीत

यौवन या जवानी बाल्यावस्था

के बाद की अवस्था है, जिसे जीवनकाल का आरंभिक उत्कर्ष माना जाता है। इसे बल, साहस, उमंग, निर्भीकता के प्रतीक रूप में देखा जाता है। प्रस्तुत चयन में यौवन पर बल रखती काव्य-अभिव्यक्तियों को शामिल किया गया है।

गीत2

मत जाओ जी शहर में

रघुवीर प्रजापति

छोरी को चत न लागै!

दुर्गादान सिंह गौड़