कवि पर दूहा

दूहा4

कायर नूं लानत दियै

नाथूसिंह महियारिया

वे रण में विरदावता

नाथूसिंह महियारिया

घण तोपां जागै नहीं

नाथूसिंह महियारिया

हणवँत गिर नहँ तोकता

नाथूसिंह महियारिया