मिथक पर कवितावां

मिथक शब्द मिथ या माइथॉस

का हिंदी रूपांतरण है। इसका सामान्य अर्थ लोकरूढ़ि या अनुश्रुति है। यह पुरातन को नवीन परिप्रेक्ष्य में रखते हुए सत्य की प्रतिष्ठा करता है। यह प्रतीकों पर आश्रित होता है लेकिन स्वयं प्रतीक नहीं होता है। समाज और साहित्य में मिथकों की अपनी उपयोगिता रही है। प्रस्तुत चयन में मिथकों के प्रयोग से बुनी कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता4

दुसासण

मणि मधुकर

घूघरा

गौरीशंकर 'कमलेश'

म्हारौ मारग

सुधीर राखेचा