श्रम का संगीत
प्रकृति और बाह्य-जगत के साथ सम्बन्ध रखने से हो जीवित रहना संभव है। और वस्तु-जगत के साथ यह सम्बन्ध केवल मेहनत के ही माध्यम से सम्पन्न हो पाता है। मेहनत करने के लिए जिस प्रकार जिन्दगी आवश्यक है, उसी प्रकार जिन्दा रहने के लिए मेहनत आवश्यक है। जिन्दगी का