नाच पर कवितावां

नृत्य को मानवीय अभिव्यक्तियों

का रसमय प्रदर्शन कहा गया है। भारतीय सांस्कृतिक अवधारणा में तो सृष्टि की रचना और संहार तक से नृत्य का योग किया गया है। प्रस्तुत चयन में नृत्य से अभिभूत कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता5

लोप व्हैण नै ताखड़ौ

चन्द्र प्रकाश देवल

राजस्थान

सत्येन जोशी

आओ, आपां हांसां

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

वा नाची ठेठ ग्रामगीत

ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर'

घूमर घालती छोर्यां

राजेन्द्र जोशी