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कहाणी1

तगादौ

ऊऽऽहु! थकग्यौ आज तौ। माथौ दूखै अर डील टूटै। आयौ इज हूं, अबार। थोड़ौ’क आरांम करलूं। पण औ किसौ बस रौ रोग है! चिंतावां खाय रैयी है। सोचूं कै इण नैं घर कैवूं कै होटल? समझ में ई कोनी आवै। गैरी सांस खैंच’र डील ढीलौ छोड दियौ। महीणौ तौ औ भळै पूरौ होयग्यौ। रिपिया

भंवरलाल 'भ्रमर'

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