आजु कहौं फिरि काल्हि कहौं, परसौंकौं, कहौं बिन बातन जीहैं।
केते खिजैं बरजैं लरजैं, तरजैं न तऊ अरजैं समही हैं।
लाज न लेस कुलाज कलेस न, अैसी हमेस न रीति नई हैं।
प्रीति सरीति कितेकनसौं, पे लियें फिरैं चाहि चकोरनकी हैं॥