सेवग अंध जाचंद गुर पायो सु, कहा ब्रह्म की बाट बतावै।

पानी की बूड तौ पानी ही पाकरै, ऐसै मतै कैसे पार की जावै।

बाइर बंजर हींज कौ मैटिबो, ऐसे उपाय पुत्र ह्वै आवै।

दीपक छाड़ि पतंग जु चूल्है मै हो, रज्जब चैन कितौ इक पावै॥

स्रोत
  • पोथी : रज्जब बाणी ,
  • सिरजक : रज्जब ,
  • संपादक : व्रजलाल वर्मा ,
  • प्रकाशक : उपमा प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड; कानपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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