कहै सब हद गहै सब हद, बेहद नहीं उनमान मैं आवै।
गुडी कौ उढ़ान डोरी कै प्रवान, हो चक्रिहुं डोरि कै वोरि व्है आवै॥
तीर कौ जान जहां लग पान, जुदैंद कौ गौन पैड़ दस पावै।
तरंग की चाल जहां लग पाल, हो रज्जब डागुल दौर का धावै॥