जांगळ जाय जमी जद जोगण, धेन चरावण आप धजाळी।
कोप हुयो नृप कान अरू, अति रोप दिखाय रयो रुदराळी।
केहर रूप बणी करणी, भख लेय लियो झट बीस भुजाळी।
मंड विराजत मेहसुता, नित सेव करै ज करंड निराळी॥