इंदर देह धरी इळ ऊपर वेदग वंश कृपा कर बाई।
भोम धुजाड़ भमै अरि मुंड उखाड़ रमै ब्रहमांड बसाई।
नीर हुतास प्रकाश नमे अरु तास अकास घुरै तण आई।
चोज रखै चित मौज रखै नित ओज भरै रसना महमाई॥