पतोत पावन व्रिद्द तेरा, सब संत कहै जस वेद में गायौ।

मो घटिये को कहा घट है, सत ज्यूंही पचास को बोझ लखायौ।

नांह सुनी यह बात बनी, सरनागत को हरि त्याग करायौ।

ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥

स्रोत
  • पोथी : मूल पांडुलिपि में से चयनित ,
  • सिरजक : ईसरदास बोगसा ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : विश्वम्भरा पत्रिका, प्रकाशन स्थल-बीकानेर
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