नांम प्रताप कटै भव बंधन, नांम प्रताप कितां सुख थायौ।

नांम प्रताप सिरे जल पाहन, वेद पुरांन कुरांन में गायौ।

सो जिन नांम दियो गुरुदेवजी, नांम उदो (त) भयो सौ लखायौ।

ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥

स्रोत
  • पोथी : मूल पांडुलिपि में से चयनित ,
  • सिरजक : ईसरदास बोगसा ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : विश्वम्भरा पत्रिका, प्रकाशन स्थल-बीकानेर
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