सोरठ देश धरा बिच सोहत, मोहत है अति सैणल माता।
कोयर नीर कियो जुढियै थळ, भीर रही कुळ लालस भ्राता।
केहर हो असवार सजा कर, आरत सार उबारण आता।
वेद सुता रख मैर बणाकर, दीन दयालु तुमी सुख दाता॥