जात करात अनात अली, सबरी दिन रात हरी गुन गायौ।
धेस वसे सर खेस करे जळ घाट पायळ ने नेस छोड़ायौ।
ता सबरी घर आय हरी तहँ सेद प्रसार प्रसन्न व्है पायौ।
ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥