कव मेह घरां किनियौण कृपा कर मात पधारण तूं करणी।

जग तार उबार दया कर जोगण भार उतार प्रभा भरणी।

जगड़ू बिच सूत रटै जननी तिहुँ ताळ बचावत तूं तरणी।

तुझ दास अखे मुझ मैर रखे घर खैर रखे शिव की घरणी॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां रचियोड़ी ,
  • सिरजक : सुआसेवक कुलदीप चारण
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