काढ कुंवेर कूं लंक लई, जमराज कूं जीत सुरेस पै आयौ।
खोस लियौ स्रग भोम बंधी सुर, इंद्र मिले तुम सै दुख गायौ।
धार उतार संघार दसानन, लंक वभीखण दे अपणायौ।
ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥