असकाज धरै कर गाज करै रण ताज सिरै सर कुंदन सो।

मुख भौण जिसो भळके पळके चढ चेतक राजन रंजन सो।

कर क्रोध भयंकर वार चढै कर सेन अकब्बर कंदन सो।

नित वंदन है अभिनंदन है तुझ भाळ लगै शुभ चंदन सो॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां रचियोड़ी ,
  • सिरजक : सुआसेवक कुलदीप चारण
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