वीसळदे वाळीह, मत कोई कीजौ मांनवी।
भेळी कर भाळीह, मांण न जांणी मोतिया॥
हे मोतिया! वीसलदेव जैसी करनी कोई भी मनुष्य नहीं करे। उसने जीवन भर धन-सम्पति संचित कर केवल उसे देखा ही, उसका उपभोग करना नहीं जाना।