तैं अहल्या तारीह, सिला हुती पति स्राप सूं।
वरती मो वारीह, सोवै क जागै सांवरा॥
भावार्थ:- जो अहल्या पति के शाप से शिला हो गई थी, उसे तूने तार दिया था। मेरी बारी बीत चली। हे सांवरे। तूं सो रहा है या जगवा है?