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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
सुरभी दीनो स्राप
रामनाथ कविया
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सुरभी
दीनो
स्राप,
पाप
तिको
भुगतण
पड़यो।
एक
रिछक
हर
आप,
सदा
बचायी
सांवरा॥
स्रोत
पोथी
: द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी
,
सिरजक
: रामनाथ कविया
,
संपादक
: कन्हैयालाल सहल
,
प्रकाशक
: बंगाल-हिंदी-मंडल, कलकत्ता