रात-दिवस हिक रांम, पढियै जो आठूं पहर।

तारै कुटंब तमाम, मटै चौरासी मोतिया॥

हे मोतिया! यदि एक राम के मात्र नाम का ही रात-दिन, आठों प्रहर स्मरण किया जाय तो वह सम्पूर्ण कुटुंब का उध्दार कर देता है और प्राणी की चौरासी यानि 84 लाख योनियों के आवागमन के चक्कर को मिटा देता है अर्थात् मोक्ष प्राप्त करा देता है।

स्रोत
  • पोथी : मोतिया रा सोरठा ,
  • सिरजक : रायसिंह सांदू ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : श्री कृष्ण-रुक्मिणी प्रकाशन, जोधपुर
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