लेतां तिरिया लाज, पति बोदौ आडौ पड़ै।
ऐ नर बैठा आज, सिंघ सिटाया स्याळ सा॥
भावार्थ:- जब स्त्री की लज्जा ली जा रही हो तो दुर्बल पति भी विरोध करता है किन्तु यहाँ तो मेरे पति नर सिंह होकर भी गीदड़ की भाँति सिट पिटाये से बैठे है।