होसी जग में हास, द्रौपद नागी देखतां।
साड़ी पहली सास, सटकै लीजे सांवरा॥
भावार्थ:- द्रौपदी को नंगी देखने पर संसार में हँसी होगी। इसलिए हे श्याम! साड़ी के पहले मेरे श्वास मेरे प्राण ले लेना अर्थात् जीते जी मुझे नंगी न होने देना।