देखै भीखम द्रोण, जेठ करण देखै जठै।
को, हर, वरजै कौण, लाज-रुखाळा, लाज लै॥
भावार्थ:- जहाँ भीष्म और द्रोण देख रहे है, जहाँ जेठ कर्ण देख रहे है, हे हरि! कहो, जब लाज के रखवाले ही लाज ले रहे हैं तब उन्हें बरजे कौन?