रटियौ हरि गजराज, तज खगेस धायौ तठै।
आ कँइ देरी आज, करी इत्ती तैं कान्हड़ा॥
भावार्थ:- जब गजराज रे रक्षार्थ विष्णु भगवान को पुकारा तब वे गरुड़ को छोड़कर वहाँ दौड़ गये थे किन्तु हे कृष्ण! आज तुमने यह इतनी देर क्यों कर दी?