नहिं विद्या धन, भान, नहिं कुछ गुण, बळ, नम्रता।
इण पर फिर अभिमान, चालै किण विध, चकरिया॥
हे चकरिया, जिस व्यक्ति के पास विद्या, धन, ज्ञान न हो और न कुछ गुण, शक्ति तथा नम्रता ही हो; इस पर भी (इतनी कमियों के होते हुए) वह अभिमान करे, तो यह किस प्रकार चलेगा अर्थात उसका मिथ्या अभिमान चूर-चूर हो जाएगा, नहीं ठहरने वाला।