देवकी’र वसुदेव, पख ऊजळ माता-पिता।

जिण कुळ जनम अजेय, सो किम बिसर्‌यौ सांवरा॥

भावार्थ:- लेकिन हे श्रीकृष्ण! तुम मुझे कैसे भूल गये? देवकी और वसुदेव क्रमश: तुम्हारे माता-पिता है और उस अजेय वंश में तुम्हारा जन्म हुआ है। तुम्हारे मातृ पक्ष और पितृ पक्ष दोनों ही उज्ज्वल है।

स्रोत
  • पोथी : द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी ,
  • सिरजक : रामनाथ कविया ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.)
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