मेटै दुःख मुरार, कै मेटै दुःख मौतड़ी।
और न मेटणहार, चार खूंट में, चकरिया॥
हे चकरिया अपना दुःख या तो कृष्ण मुरारी ही दूर कर सकते हैं या फिर मृत्यु ही उसे मिटा सकती है। इनके अतिरिक्त चारों दिशाओं (अर्थात संपूर्ण संसार) में अन्य कोई भी दुख का निवारण करने वाला नहीं है।