मैहलां बैसण मन्न, केइक नर मैनत करै।

वास हुवै जाय वन्न, रवि ऊगंतां रांमला॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी नीतिपरक संबोधन काव्य ,
  • सिरजक : आयस देवनाथ ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै