पंच महा बरवीर, वचन कपट सूं बांधिया।

जिण दिन खिंचसी तीर, दिन उण आंख्यां देखजो॥

भावार्थ:- ये पांचों महावीर अभी तो कपट वचन से वद्ध है। जिस दिन इनके तीर खिचेंगे, उस दिन अपनी आँखों से देख लेना, वे कितनी वीरता दिखलायेंगे।

स्रोत
  • पोथी : द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी ,
  • सिरजक : रामनाथ कविया ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.)
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