मो मन पड़ियौ मोच, आव कह्यां आयौ नहीं।
साड़ी रौ नहँ सोच, सोच विरद रौ सांवरा॥
भावार्थ:- ‘आओ’ कहने पर तुम नहीं आये, इससे मेरे मन को बड़ी ठेस पहुँची है। हे श्याम! मुझे अपनी साड़ी की चिन्ता नहीं है, मुझे तुम्हार विरुद्ध की ही चिन्ता हो रही है।