द्रौपद हेलौ देह, वेगौ आ वसुदेव रा।
लाज राख जस लेह, लाज गियां व्रद लाजसी॥
भावार्थ:- द्रौपदी पुकारती है कि हे वसुदेव के पुत्र! शीघ्र आओ। मेरी लज्जा की रक्षा करके यश लो। मेरी लज्जा जाने से तुम्हारे ही विरुद्ध की हँसी होगी।