धरती पड़्यो ढिंगास, अंबर अंबर सूं अड़्यो।
आयो पूरण आस, सही बजाजी साँवरो॥
भावार्थ:- धरती पर ढेर लग गया। कपड़े का ढेर आकाश से जा लगा। सच्चा बजाज सांवरा आशापूर्ण करने के लिए आ गया।