पाळ्यो जहर पिवाय, भीम गंग पटक्यो हुतो।

पनग लोक परणाय, साथे लायो सांवरा॥

भावार्थ:- विष पिलाकर भीम को कौरवों ने गंगा में डाल दिया था। उसको भी तूने पाला पाताल में उसका विवाह करवा कर उसे अपने ही साथ तू ऊपर ले आया।

स्रोत
  • पोथी : द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी ,
  • सिरजक : रामनाथ कविया ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.)
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