खींचो खींचणहार, मन धोको राखे मती।
समपै सरजणहार, सही बजाजी सांवरो॥
भावार्थ:- हे खींचने वाले। खींच ले। मन में यह धोखा न रख कि मैंने यथेच्छ खींचा नहीं। देने वाला सच्चा बजाज सृष्टिकर्ता भगवान् देगा।